शनिवार, 23 अप्रैल 2016

छबीस दूहा पूंछ आळाओम जी पुरोहित"कागद"



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1

चरका मरका चाबतां
चंचल होगी चांच ।
फीका लागै फलकिया
अकरा सेकै आंच ।
करमां रो कीट लागै ।

2

नेता नाटक मांडिया
ले नेता री ओट ।
नेता नै नेता चुणै
जनता घालै बोट ।।
लोक सिधारो परलोक ।।

3

लोक घालै बोटड़ा
नेता भोगै राज ।
लोकराज रै आंगणै
देखो कैड़ा काज ।।
जोग संजोग री बात।।

4

हाकम रै हाकम नहीँ
चोर न जामै चोर ।
नेता तो नेता जणै
नीँ दाता रो जोर ।।
नेता जस अमीबा ।।

5

चोरी जारी स्मगलिँग
है नेता रै नाम ।
आं कामां नै टाळगै
दूजो केड़ो काम।।
आप बिकै नी बापड़ा ।।

6

जनता हाथां हार कर
हाट करावै बंद।
फेर ऐ खुल्ला सांडिया
खूब खिंडावै गंद ।।
जिताओ बाळो आगड़ा।।

7

चोळा बदळै रोज गा
चालां रो नीँ अंत ।
भाषण देवै जोर गा
वादां में नीँ तंत।।
कियां घड्या रामजी ।।

8
नेता मरियां कामणी
माता मरियां पूत।
बो इज होवै पाटवी
जो मोटो है ऊत ।
मारो साळां रै जूत ।।

9

बोट घलावै बापजी
दे कंठां मेँ हाथ
जीत बजावै ढोलड़ा
अणनाथ्या हे नाथ ।।
पोल मेँ बजावै ढोल ।।

10

बाजो बाजै जीत गो
नेता घर मेँ रोज ।
हारै जनता बापड़ी
भूखी टाबर फोज ।।
घालो ओज्यूं बोट।।

11

नेता खावै धापगै
जनता भूखी भेड़ ।
पांच साल मेँ कतरगै
पाछी चाढै गेड़ ।।
राम ई राखसी टेक ।।

12

नेता मुख है मोवणां
धोळा धारै भेस ।
जीत्यां जावै आंतरा
हार्‌यां करै कळेस ।।
दे बोट काटो कळेस ।।

13

पाटै बैठ्या धाड़वी
नितगा खोसै कान ।
नेता भाखै आपनै
चोखो पावै मान ।।
नमो कळजुगी औतार ।।

14

सेडो चालै नाक मेँ
मुंडै काढै गाळ ।
नेता मांगै बोटड़ा
कूकर गळसी दाळ ।।
रामजी ई रुखाळसी ।।

15

लोकराज रै गोरवैं
खूब पळै है सांड ।
चरणो बांरो धरम है,
बांध्यां राखो पांड ।।
करणी तो भरणी पड़ै।।

16

काळू ल्यायो टिगटड़ी
बणग्यो काळूराम ।
जनता टेक्या बोटड़ा
जैपर बण्यो मुकाम ।।
इयां ई तिरै ठीकरी ।।

17

धापी आई परण गै
नेता जी रै लार ।
नेता राखै चोकसी
बा टोरै सरकार ।।
...

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

राजस्थानी भाषा माँय पत्रिका "हथाई"

राजस्थानी पत्रिका "हथाई" री जोरदार हाजरी
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राजस्थानी भासा में साहित्यिक पत्रिकावां री
कमी नित बताईजै । इण कमीं नै पूरण रो
काम माणक ,राजस्थानी गंगा ,अपरंच ,
बिणजारो, लीलटांस , अनुसिरजण ,
आलोचना , राजस्थली , कथेसर , नैणसी ,
औळख , कुरजां , आद राजस्थानी
पत्रिकावां बरसां सूं कर रैई है ।
इण लिस्ट में अब "हथाई" रो भी नांव जुड़ग्यो ।
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"हथाई" हनुमानगढ जिलै रै नोहर कस्बै सूं छपै ।
वरिष्ठ कथाकार डा. भरत ऒळा रै सम्पादन में ।
"हथाई" साहित्य जगत में आपरी जोरदारा
हाजरी मंडवाई है ।
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पैलै अंक में :-
डा.चन्द्र प्रकाश देवळ ,डा. चेतन स्वामी ,
डा. अरविन्द आशिया , ताऊ शेखावाटी
डा. मंगत बादळ , अतुल कनक ,
हरीश बी शर्मा अर उम्मेद धानियां री कहाण्यां
=
डा. अर्जुनदेव चारण अर म्हारी कवितावां
=
शंकरसिंह राजपुरोहित रो व्यंग्य
=
रमेश जांगिड़ , दुलाराम सहरण , मालचन्द तिवाडी़
डा.शिवराज भारतीय , केसराराम , माधव नागदा री
सांवठी रचनावां अर डा. आईदानसिंह भाटी री कूंत
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छपाई सांतरी । पान्ना सांतरा । रंगीन कवर पेज सांतरो
सांतरी रचनावां , कुल मिलाय’र एक जोरदार राजस्थानी पत्रिका ।
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मोल : 25 रिपिया
सैयोग : 1100 रिपिया
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मंगावण अर रचना भेजण रो ठिकाणों :-
सम्पादक
हथाई
राजस्थानी लोक संस्थान ,
37, सैटर नम्बर- 5
नोहर-335523
दूरभास : 0151-221893
E-mail : editorhathai@gmail.com

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

म्हारो इस्कूल

आजकाल इस्कूल भोत बदळीजग्या । टाबर भी एकदम छोटा छोटा इस्कूल जावै और मास्टरां गी जग्यां फूटरी फूटरी मैडम हुवै ।
म्हारै जमाने में आठवीं मैं भी दाढ़ी मूंछ हाळा इस्टूडेंट हुँवता .....दसवीं मै तो दो तीन टाबरां गा माईत भी पढ़ाई करता ।
और मास्टर गी तो पूछो मत ....धोती और खद्दर गो चोळो , एक एक बिलांत गी मूंछ ....जाणै जल्लाद है । ऊपर स्युं हाथ मै तेल स्युं चोपडेड़ो डंडो !!!
मैं टाबर हो जणा मन्नै इस्कूल जाणै गो भोत डर लागतो । अबै थे ही बताओ ......नहा धो गे , चला गे जाओ और क्यां खातर ? मास्टर जी कनु डंडा खाण खातर !!!
बेटी आ कठै गी स्याणप हुई ??
और मेरो दिमाग तो थे जाणो ....टाबरपणै स्युं ही तेज !!! तो मैं इस्कूल कोनी जांवतो ।
मेरी दादी एक दिन मन्नै बोली -
" जे मेरो राजा बेटो इस्कूल जासी तो मैं एक पताशो देस्युं "
मैं पताशै गै लालच में इस्कूल चल्यो गयो । मास्टर जी मन्नै दुवै गी भारणी पूछी । मन्नै भारणी आई कोनी..... और मास्टर जी मेरै एक डंडे गी फटकार दी ।
मैं पाटी -बरतो ले गे घरे आग्यो और जेब स्युं पताशो काढ गे दादी नै पाछो दे दियो कै -
" मास्टर जी मेरै डंडे गी मारी है .....तेरो पताशो काठो राख ।"
फेर एक दिन दादी बोली कै - "तूं सुखियै सागै इस्कूल चल्यो जा .....सुखियो तन्नै कूटण कोनी देवै "
सुख काको नौंवी में पढतो ....चोखो छ: फूटो जवान और मुंह पर दाढ़ी मूंछ ।
मैं सोच्यो ओ काम ठीक है । सुख काको मन्नै कूटीजण कोनी देवै ।
दूसरै दिन मैं सुख काकै सागै इस्कूल ऊठ ग्यो ।
सूख काको पोथी खोल गे बैठ ग्यो और मैं सुख काकै गै सारै बैठ गे..... पाटी पर कोचरी गो चित्र कोरण लाग ग्यो ।
थोड़ी देर बाद मास्टर जी आया । लाल आँख और हाथ में डंडो .....जाणै जमदूत है ।
मेरो तो हाथ काँपण लागग्यो । मास्टर जी आंता पाण सुख काकै नै खड्यो करयो और सुवाल पूछ्यो -
" बोल सुखा .....तेराह चौका किता हुवै ?"
सुख काको तो काणो ऊँट नीम कानै देखै ज्यूँ देखण लाग ग्यो ।
मास्टर जी सुख काकै नै मुर्गो बणा दियो और..... लाग्या डंडा मारण नै । इयाँ तो धापेड़ो बावरी बळद नै ही कोनी कुटै ....जियां मास्टर जी सुख काकै नै कुटै !!
मेरी तो छाती गुल्लो काढ़ण लाग गी । तेरा भला हुवै .....जको बोडी गार्ड बणगे आयो बो तो और जोरगो कुटीजै !!!!
मैं तो पाटी बरतो बठै ही छोड़ दियो और तुतकियो लगाएड़ो रोजड़ो भाजै ज्यूँ भाज्यो ।
घरै पूग्यो जणा दादी बोली -" अरै आज तो सुखियो तेरै सागै हो .....फेर कियां पाछो आग्यो ?"
मैं बोल्यो - " बो तेरो सुखियो तो खुद औसर में गंडक कुटीजै ज्यूँ कुटीजण लाग रैहयो है "


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